गुलाब का सुख काँटा की चुभन के साथ है जो सह लेते हैं काँटे वे जीते हैं गुलाब हर काल में काल आया कला को साथ लाया कलाकारों के लिए शब्दों को गुलाब की तरह रखा कागज की क्यारी में
हिंदी समय में सुरजन परोही की रचनाएँ